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RSS के इंद्रेश कुमार और RSS के बचाव में उतरे है हर्ष बोधि।

जन जोश न्यूज का एंकर इंद्रेश कुमार को बोला कि आपको विलास खरात ने आतंकवादी कहा तब वह उसका जवाब नहीं दे पाया। तब RSS के पण्डो ने हर्ष बोधि को अब आगे किया।

हमने पहले ही कहा है कि साकेत पर विदेशी ब्राम्हणों का कब्जा कराने के लिए वामन मेश्राम का हाथ है उसी tarah बोधगया पर भी ब्राम्हणों का नाजायज कब्जा रहे इसके लिए भी योगदान है।इसके लिए ही नितिन गडकरी के अत्यंत निकटवर्ती हर्ष बोधि को वामन मेश्राम ने बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क इस संस्था का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया।
हर्ष बोधि RSS के इंद्रेश कुमार की वकालत कर रहे है। RSS के मोहन भागवत के इशारे पर बिहार के राज्यपाल ने बोधगया में जाकर दुष्कृत्य किया।और उसके तुरंत बाद इंद्रेश कुमार जो आतंकी ब्राह्मण है उसे वहां भेजा।उसके साथ डुप्लीकेट भिक्षु भी थे। इंद्रेश कुमार ने बुद्ध धम्म को वैदिक धर्म की शाखा बताया।उसके खिलाफ हर्ष बोधि ने अपना मुंह नहीं खोला बल्कि महंत ब्राह्मण के बचाव में अपना बयान दिया था।
हर्ष बोधि ने उपाली को ब्राह्मण बता रहे है। जिन जिन प्रसिद्ध व्यक्तियों को ब्राम्हणों ने ब्राह्मण बताया है वे सभी मूलनिवासी नाग वंशी सिद्ध हो चुके है।उसपर मै अलग से वीडियो ही बनाऊंगा। बौद्ध धर्म में ब्राम्हणों का क्या काम? क्या डा. बाबासाहेब आंबेडकर ब्राम्हणों को बौद्ध धर्म में अपने आंदोलन में साथ लेना चाहते थे? हम डा. बाबासाहेब आंबेडकर जी के रास्ते पर चल रहे है। हम आंबेडकरवादी बौद्ध है इसका हमे गर्व है।
ब्रम्हदेश(म्यानमार) में 1954 में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध धम्म सम्मेलन हुआ।जिसमें डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी ने ब्राह्मण से हरेक मुहमेंट को धोका कैसे है यह बताया।
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी के ही शब्दों में -
"इस्लाम से बौद्ध धर्म को कोई खतरा अब नही है लेकिन ब्राह्मणवाद से खतरा अभी भी है।वह उसका प्रबल दुश्मन रहेगा।ब्राह्मण किसी भी रंग को धारण करे,किसी भी पार्टी को अपनाए,ब्राम्हण यह ब्राम्हण ही रहेगा। क्यों कि ब्राह्मण को क्रमिक सामाजिक असमानता को बनाए रखना है।यह क्रमिक असमानता ही है जिसने ब्राह्मण को सबसे ऊपर उठाया और एक के ऊपर एक दर्जा दिया।बौद्ध धम्म समानता में विश्वास करता है।इसलिए ब्राह्मण उससे द्वेष करते है।यह पूर्णत: स्पष्ठ है कि यदि ब्राम्हणो को बौद्ध धम्म के पुनर्जीवन -आंदोलन में नेतृत्व करने की अनुमति दी गई तो वे अपनी शक्ति का उपयोग उसे तोड़फोड़ करने में या दिशाहीन करने में करेंगे।हमारे आंदोलन के प्रारंभिक स्तर पर उन्हें दूर रखने की सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है।"
( -डॉ बाबासाहेब आंबेडकर रायटिंग एंड स्पीचेस, खण्ड 17,भाग 3,पृष्ठ 508)
अब सवाल है विदेशी ब्राम्हणों की वकीलों कहो या दलाली करनेवाले व्यक्ति को वामन मेश्राम ने बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क का राष्ट्रीय अध्यक्ष क्यों बनाया?यही सबूत है कि वामन मेश्राम बोधगया पर ब्राम्हणों का नाजायज कब्जा रखने के लिए RSS को मदद कर रहे है। हर्ष बोधि बिहार सरकार का खबरी बनकर काम कर रहे है।
हर्ष बोधि और वामन मेश्राम से सावधान

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