सन् 1893 में अमेरिका में विश्व धर्म सम्मेलन हुआ था। 1893 ई. की "विश्व अमेरिकन प्रदर्शनी" का मुख्य उद्देश्य मानव की भौतिक प्रगति को एकत्रित करना था। कल्पना करने योग्य प्रत्येक वस्तु वहाँ प्रदर्शित थी - न केवल पाश्चात्य सभ्यता की उपलब्धियों को, वरन् विश्व की अधिक पिछड़ी संस्कृतियों को भी आदमकद नमूनों आदि के द्वारा बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया गया था। तथ्य बोलते हैं। उस event का Logo बता रहा है कि जिन 6 धर्मों को शामिल किया गया उनमें Brahmanism तो था लेकिन Hinduism नहीं था। क्यों नहीं था? क्या उस समय Hinduism को "विकसित" किया जा रहा था? क्या हिंदू धर्म के ग्रंथ लिखने का काम पूरा नहीं हुआ था?- Mr Rajender Kularia
इसी सम्मेलनमें बौद्ध अनुयायी अनागरिक धम्मपाल ने बौद्ध धर्म का प्रतिनिधित्व किया. धम्मपालने अपने भाषण का समय स्वामी विवेकानंद को देकर यह बात बतायी की स्वामीजी बौद्धदेश से आये है जहाँ बुद्ध का जन्म हुआ है, जहा सिद्धार्थ को बुद्धत्व प्राप्त हुआ है. इसलिये मै अपना समय स्वामीजी को प्रदान करता हुँ. इसी वजह से स्वामी विवेकानन्द को अपने विचार रखने का अवसर प्राप्त हुआ. मात्र इस बात को सभी मिडीया और इतिहासकार छुपाते है,
- इस सम्मेलन के बारे में ज़्यादा जानकारी
- यह सम्मेलन मिशिगन झील के किनारे आयोजित किया गया था.
- यह दुनिया का सबसे बड़ा धर्म सम्मेलन था.
- यह पूर्वी और पश्चिमी आध्यात्मिक परंपराओं के प्रतिनिधियों की पहली औपचारिक सभा थी.
- इस सम्मेलन में दुनिया के कई धर्मों के प्रमुख विद्वान और ईसाई जगत के प्रतिनिधि शामिल हुए थे.
- इस सम्मेलन में यह तय किया गया था कि हर धर्म और ईसाई जगत की प्रमुख शाखाओं में क्या-क्या सत्यताएं मानी जाती हैं.
- इस सम्मेलन में यह भी तय किया गया था कि धर्म वर्तमान युग की समस्याओं पर क्या प्रकाश डालता है.
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