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राजकीय सोशल इंजिनियरिंगचं फसलेलं गणित बहुजन समाज पक्ष

 उत्तर प्रदेश विधानसभेच्या २०२२च्या  निवडणूका पार पडल्या. या निवडणूकीत बसपाने ४०० जागांपैकी केवळ एका जागेवर विजय मिळवत राजकीय क्षेञातील प्रभाव कमी करून स्वतःचे अस्तित्व धोक्यात आणले आहे. उत्तर प्रदेश राज्यात महाराष्ट्र राज्यातून राजकारणातून  रिपाइंने गमावलेला डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर यांचा हत्ती बसपा संस्थापक कांशीराम साहेब यांनी आणून देशात फुले,शाहू,आंबेडकर यांची चळवळ पुर्नजिवित केली. संपूर्ण देशात निळा झेंडा आणि हत्ती निशाणीचा करिश्मा उभा करून भारतातील राजकारणात, बाबा के बच्चे बिगर देश का शासन चलने नही दूंगा, अशी भूमिका घेतली. त्यांनी उत्तर प्रदेशात सत्ता असतानाही कुठे ही सत्तेचा वापर केला नाही. साधे रहाणीमान आणि देशभर पायाला भिंगरी लावून देशात त्यांनी त्यागी,समर्पित कार्यकर्ते यांचे जाळे निर्माण केले.

बहनजी मायावती यांना मुख्यमंञी करून आपल्या हयातीत त्यांना राजकीय वारसदार घोषित केले. अखेर त्यांचे परिनिर्वाण झाले. परंतु बहुजन समाजाची मुव्हमेंट बहन मायावतीजी संपूर्ण देशभर त्याच ताकदीने वाढवतील असे वाटले होते. परंतु बहनजी सत्तेच्या धुंदीत राहील्या.कॅडर कार्यकर्ते यांनी घरांची राखरांगोळी करून स्वतःचे रक्त आठवले.त्यांचा बहनजींना विसर पडला. संपूर्ण देशभरातील राज्यात मुव्हमेंट उभी राहिली असताना बहनजींनी जाणीवपूर्वक दुर्लक्ष केले. ज्या महाराष्ट्र राज्यातून बामसेफ,बसपा वाढीसाठी करोडो रूपयांचा निधी गेला. हजारो कार्यकर्ते घरांची राखरांगोळी करून रस्त्यावर आले. त्यांच्याकडे दुर्लक्ष करून जिकडे पैसा, तिकडे बसपा अशी बसपाची भूमिका आंबेडकरी विचारधारेला तिलांजली देणारी ठरली. केवळ उत्तर प्रदेशपुरते मर्यादित राहून बहनजींनी ब्राम्हण कार्ड चालवून मूळ विचारधारेशी छेडछाड करून राजकीय सोशल इंजिनियरिंग घडवून सामाजिक आंदोलनाकडे दुर्लक्ष केले. 

बहनजी राज महालात राहू लागल्या. गरीब शोषित जनतेचे प्रतिनिधीत्व करणारा बसपा सुप्रिमो बहनजी  झोपडीत रस्त्यावर राहणा-यांचे दुःख विसरून गेल्या. पायी सायकलने एकेकाळी प्रचार करणा-या बहनजी यांना चप्पल आणण्यासाठी चार्टड विमान मुंबईत आले. परंतु तोपर्यत मान्यवर कांशीराम साहेब यांनी कॅडर समर्पित कार्यकर्ते यांचे जाळे उभे केले होते. ते बहनजींनी जाणीवपूर्वक तोडून टाकले. तेव्हाच बहुजन मिशनचे मोठे नुकसान झाले. ज्या कॅडरमधून बसपात नव्या कार्यकर्ते नेते घडत होते. तीच कॅडरबेस पध्दत बंद करून बहनजी यांनी व्यक्तीपूजा वाद आणला. अनेक जुन्या सहकारी यांची बसपातून बहनजींनी हक्कालपट्टी करून चळवळ संपविण्याची वाटचाल सुरू केली. बसपा रस्त्यावरचे लढे विसरून सत्तेत रममाण झाली. त्याचा परिणाम मागील सन २०१७ वर्षे निवडणूकीत दिसला. तेव्हाच बहनजी उशार झाल्या असत्या तर आजची राजकीय अस्तित्व गमावण्याची वेळ आली नसती. 

चार वर्षापूर्वी उत्तर प्रदेश सहारनपूर जिल्हयात दलित अत्याचार होवून ही बसपा शांत राहिली. परंतु त्यातूनच भीम आर्मी संघटना व लढवू अॅड. चंद्रशेखर आझाद यांचा उदय होणे ही चळळीची पोकळी भरून काढणारी घटना होती.याचे कारण बहनजींनी तरूणांना पक्षात नाकारलेली संधी होती. महाराष्ट्र राज्यात दलित अत्याचार झाले की बहनजी कधीच बोलताना आवाज उठवताना दिसल्या नाहीत. त्याची त्यांना गरजच वाटली नाही. भारतीय संविधानाचे निर्माते महामानव डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर साहेब यांनी परिवारवादाला धारा दिला नाही. तेच मान्यवर कांशीरामजी यांनी परिवाराला स्वत:पासून दूर केले.बहनजी यांनी व्यक्तीपूजा,परिवारवादाला धारा देवून स्वस्वार्थ त्यांची राजकीय भूमिका पटण्यासारखी नाही. परिणामी आज बहुजन समाज पक्ष स्वतः विचारधारेपासून भरकटत चालला आहे,महाराष्ट्र राज्य हे संपूर्ण देशाचे आंबेडकरी चळवळीचे हेडक्वार्डर आहे. महाराष्ट्र राज्यात गटबाजीचे राजकारणात सत्ता मिळाली नाही. परंतु देशात कुठे ही अन्याय अत्याचार झाला तरी महाराष्ट्रातील आंबेडकरी चळवळ पेटून उठते. किमान अशी चळवळ बहन मायावती यांनी उत्तर प्रदेशात उभी करून सामाजिक ऐक्याचा पाया भक्कम करावा. अन्यथा बाबूराव जगजीवन सारख्या नेत्यांसारखी त्यांची  अवस्था होवू नये, ही अपेक्षा.

 मा. महादू पवार - मो. 9867906135
पञकार,मुंबई, आंबेडकरी चळवळ अभ्यासक,


👉🏻1993 में बसपा के 67 विधायकों के समर्थन से सपा की मुलायम सरकार के समय ही मायावती ने जून 1994  में बसपा के दो फाड़ कर दिये ! पार्टी के दो फाड़ होने से मा. कांशीराम जी  ने बचाया ! ( पढ़ें माया पत्रिका जुलाई 1994 )
👉🏻मायावती ने 2-6-1995 को भाजपा के कलराज मिश्र ,लालजी टंडन से बात कर बसपा सपा गठबंधन तोड़ दिया ,जिससे मीराबाई गैस्ट हाउस लखनऊ में सपा के विधायक रमाकांत यादव और उमाकांत यादव ने मायावती पर प्राणघातक हमला किया ,जिसमें वे बच गईं और 3-6-1995 को भाजपा के सहयोग से मायावती सी एम बन गईं ! इस तरह इन्होंने कांशीराम साहब को धोखा देकर भाजपा के सहयोग से सरकार बनाई ! ( पढ़ें किताब आयरन लेडी )

👉🏻1996 में बसपा की रैली में लालकृष्ण अाडवानी  को अचानक मंच पर मायावती लाई !
👉🏻15-9-2003 को मा. कांशीराम जी को बीमारी के नाम पर लगातार 3 साल तक आर एस  एस के डा. बत्रा हास्पीटल में कैद करके रखा ! तीन साल बाद  9-10-2006 को साहब कांशीराम जी की डैडबॉडी बाहर आई !
इस हास्पीटल का उद्घाटन लालकृष्ण आडवानी ने किया !
👉🏻25-8-2003 को अम्बेडकर मैदान लखनऊ में  2 लाख लोगों की भीड़ में मायावती ने सरकार से इस्तीफा देते हुये कांशीराम जी की  हत्या का प्लान उजागर किया ,जिससे बहुजन समाज को बहकावे में नहीं आने के लियेआगाह किया ! ( पढ़ें उस समय  बसपा का साप्ताहिक पेपर बहुजन संगठक !)  इसके ठीक 20 दिन बाद 15-9-2003 को बेस्ट गोदावरी (आन्ध्र प्रदेश) की सभा में साहब बेहोश किये गये और 15-9-2003 को एयरक्राफ्ट से दिल्ली ले जाया गया जहां ऐम्स में न ले जाकर आर एस एस के डा़ बत्रा के हड्डी के हास्पीटल में रखा गया है ,जहां लगातार  3 साल तक रखा गया !  इस बीच मायावती ने कांशीराम जी के किसी भी शुभचिंतक को उनसे मिलने नहीं दिया ! यहॉ तक कि साहब की 93 साल की मॉ तथा भाई बहन को भी नहीं मिलने दिया ! इतनाही नही साहब को मृत्यु के दिन ही 9-10-2006 को नगर निगम शमशान में दोपहर 3 बजे जला दिया  ! अंत्येष्टि में लोग पहुंच भी नहीं पाये !

👉🏻मायावती ने कांशीराम जी के समय के सैकडों कद्दावर बहुजन  नेताओं को पार्टी से निकाल दिया और उनकी जगह पर  ठाकुर ,ब्राह्मण ,बनिये भर लिये !
👉🏻 सन 2000 में 86 वें संविधान संशोधन के तहत पद्दोन्नति में आरझण नियम के तहत पद्दोन्नत लोगों का  डिमोशन देश में सबसे पहले मायावती के शासन में हुआ !
👉🏻2007 में उ प्र में सर्वजन की सरकार बनते ही  देश में सर्वप्रथम मायावती ने अजा,अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 को लगभग निष्प्रभावी कर दिया ,जिसके आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने इसे कमजोर कर दिया !
👉🏻देश के अंदर मायावती पहली  मुख्यमंत्री रहीं  हैं जिन्होने सवर्णों को  आर्थिक आधार पर आरझण की मांग विधान सभा से पारित कर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा !
👉🏻गरीब सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरझण की मांग राज्यसभा के अंदर देश में सर्व प्रथम मायावती ने की ! उसके बाद ही सितंबर 2015 में मोहन भागवत ने कहा कि आर्थिक आधार पर आरझण होना चाहिये ,जिससे देशभर में अजा,अजजा ,पिछड़ा वर्ग में हड़कंप मच गया !
👉🏻मायावती ने पिछले महीने प्रेस कान्फ्रेंस कर   कहा कि यदि केन्द्र सरकार संविधान में संशेधन कर गरीब सवर्णों  अपर कास्ट को आर्थिक आधार पर आरझण की व्यवस्था  करती है तो हम उसका स्वागत करेंगे !
👉🏻मायावती ने कांशीराम जी के पवित्र बहुजन हिताय बहुजन सुखाय पर आधारित बहुजन आंदोलन को बर्वाद कर आदि शंकराचार्य की लाइन सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय पर लाकर  रख दिया है ! जिससे बसपा में अब ब्राह्मण ठाकुरों की तूती बोल रही है ! बसपा पूरी तरह सर्वजन समाज पार्टी बन चुकी है !
👉🏻आर एस एस के पंडित सतीश चंद्र मिश्रा बसपा के सर्वेसर्वा हैं ,मायावती तो चमारों के लिये मात्र मुखौटा है !
👉🏻कांशीराम जी ने 2003 तक बसपा के बहुजन आंदोलन को चरम - शिखर तक पहुंचा दिया !
👉🏻परंतु मायावती ने 2014 लोकसभा में शून्य तथा  उ प्र विधान सभा 2017 में 19 विधायक पर पहुंचा दिया ,जिससे वे  राज्यसभा भी नहीं जा सकतीं हैं ! इसलिये बेचारे चमारों की भावनाओं से खेलने के लिये पहले ही राज्य सभा से स्तीफा दे दिया !
👉🏻फिर भी  रोडछाप बेबकूफ बहुजन युवा कह रहा है कि बहिन जी प्रधान मंत्री बनेंगी !  अक्ल के बुद्दुओ सांसद जीरो फिर भी मायावती हीरो !
👉🏻वर्तमान में 25 से 35 साल का युवा 2003 में 10-12 साल का नासमझ था ,इसलिये उसे कांशीराम जी की डिजायन का पता ही नहीं है ,जब समझने लायक हुआ तो उसे मायावती की जो सर्वजन समाज पार्टी  के रूप में बसपा  मिली ,उसी को अंधा होकर पकड़ कर उस पर उल्लू की तरह बैठ गया है और मायावती के चक्कर में अपने भविष्य की शाखा को काट रहा है !
वह किसी अनुभवी अपने अग्रज की सलाह को समझने को भी तैयार नहीं है ! 
👉🏻यह युवा बसपा का बढ़ा जानकर बनकर कहता है कि हमारे बुजुर्ग तो सठिया गये हैं !
जबकि हकीकत यह है कि इसकी आंखों के सामने ही मायावती ने बसपा का सूपड़ासाफ कर दिया है फिर भी  मायावती का  अंधभक्त युवा कहता है कि केवल बहिन जी ही हमारी नेता हैं सब मिलकर बहिन जी के पीछे पड़ गये हैं !
👉🏻अजा,अजजा के आरझण और अत्याचार निवारण कानून के खिलाफ मायवती ने ही पूरे देश में आग के बीज बो दिये हैं !
👉🏻जब मायावती आर एस एस के पंडित सतीश चंद्र मिश्रा के बिना  कहीं जा नहीं सकती ,एक शब्द भी बोल नहीं सकतीं ! वही बोलने के लिये पर्चा लिखकर देता है ,उसे मायावती पढती हैं !  मायावती को उसने लीडर से रीडर बना दिया है ! फिर भी बहुजन युवा अपनी बेबकूफी को नहीं छोड़ें तो उसमें दो धक्का और दे दियें  जायं !
👉🏻कबीर ने कहा है -- समझै तो समझाईये ,वस्तु देऊ दो और ! बहते को बह जान दो ,दे धक्का द्वै और !!

👉🏻म प्र के बहुजनों के लिये मायावती से बेहतर विकल्प फूल सिंह बरैया जी हैं , जिन्होंने  मायावती और उनके दलालों के बिना ही मात्र ढाई साल के अंदर सितंबर 2003 तक सत्ता के दरवाजे तक पहुंचा दिया !
परंतु ताज कोरिडोर और आय से अधिक संपत्ति के मामलों में फंस चुकी मुख्य मंत्री  मायावती ने खुद और अपने परिवार को बचाने के लिये मा. कांशीराम जी को बीमारी के नाम पर कैद करके विधान सभा चुनाव के पहले फूलसिंह बरैया जी को पार्टी से बाहर निकाल दिया !
👉🏻29-6-2003 वेटेरनरी ग्राउंड जबलपुर में  40000 लोगों के बीच म प्र की धरती पर मा. कांशीराम जी ने अपने अंतिम ऐतिहासिक राष्ट्रीय भाषण में महात्मा फुले ,साहू महाराज ,बाबासाहब अम्बेडकर की लाईन पर बरैया जी को घोषित कर दिया ! पढें बसपा का साप्ताहिक पेपर बहुजन संगठक वर्ष 23  अंक 20
👉🏻कांशीराम जी द्वारा घोषित बहुजन ऑदोलन के राष्ट्रीय उत्तराधिकारी फूलसिंह बरैया जी पर म प्र के युवाओं का सीना गर्व से चौड़ा क्यों नहीं हो रहा है ? आखिर ये लोग बसपा में किस नेता की दम पर जुडे़ हैं !
👉🏻उसके बाद ही जुलाई 2003 में मुख्य मंत्री मायावती के 27 ठिकानों पर छापा पड़ गया और उक्त दोनों मुकदमे दर्ज हो गये !
👉🏻जिससे बचने के लिये मायावती ने दिग्विजय से सौदेबाजी कर कांग्रेस के लिये प्रदेश छोड़ने के लिये बरैया जी को बाहर निकाल दिया !
👉🏻म प्र की बनती हुई सरकार को जिस मायावती ने नष्ट किया उसी से सरकार बनाने उम्मीद करना यह तो बेबकूफी की हदपार हो गई !
👉🏻 बरैया जी द्वारा आयोजित बसपा की 5 लाख लोगों की महारैली 21-9-2003 परेड ग्राउंड भोपाल में मुख्य अतिथि मा. कांशीराम जी को आना , हास्पीटल में भरती रहने से उनकी जगह पर मायावती आईं जिसमें मायावती ने कांग्रेस अच्छी पार्टी होने का भाषण दिया ! ( पढ़ें दैनिक भास्कर दिनांक 22-9-2003)
👉🏻अभी भी जाग जाओ वरना मायवती के चक्कर में सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय रटते रटते अपना मान सम्मान,भारतीय संविधान,संवैधानिक अधिकार,आरक्षण सब कुछ नष्ट करवा दोगे !

ओमदिप शर्मा 
कसारा



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